अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: भारत ने शनिवार को ओडिशा के बालासोर तट पर ‘अग्नि प्राइम’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह अग्नि सीरीज की मिसाइलों का एडवांस्ड वर्जन है, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. सतह से सतह पर मार करने वाली इस बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता 1000 से 2000 किलोमीटर की है. इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि टेस्ट के दौरान अग्नि प्राइम मिसाइल में कई नए फीचर्स जोड़े गए. यह उच्च स्तर की सटीकता के साथ मिशन के सभी लक्ष्यों को पूरा किया. अग्नि प्राइम अल्ट्रा मॉर्डन टेक्निक से लैस होने की वजह से बहुत कम वजन वाली मिसाइल है.
इसी सप्ताह भारत ने ओडिशा तट से दूर अब्दुल कलाम द्वीप से ‘सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड टॉरपीडो सिस्टम’ का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया था. डीआरडीओ ने बताया कि इस प्रणाली को पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है, जो पारंपरिक टॉरपीडो की रेंज से कहीं अधिक है. डीआरडीओ ने एक बयान में कहा था, ”यह परीक्षण योजना के अनुसार रहा. इस दौरान इलेक्ट्रो ऑप्टिक टेलीमेट्री सिस्टम, डाउन रेंज इंस्ट्रूमेंटेशन और डाउन रेंज शिप सहित
विभिन्न रेंज रडार द्वारा पूरे प्रक्षेपवक्र की निगरानी की गई. मिसाइल में टारपीडो, पैराशूट डिलीवरी सिस्टम और रिलीज मेकैनिज्म था.”
अग्नि सीरीज मिसाइल और इनकी रेंज
अग्नि-1: इसमें एसएलवी-3 बूस्टर का प्रयोग किया गया है इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर है. इसमें लिक्विड फ्यूल भरा जाता है. 28 मार्च 2010 में इसका पहला परीक्षण हुआ था. यह मिसाइल अपने साथ परमाणु सामग्री ले जाने में सक्षम है.
अग्नि 2: परमाणु क्षमता वाली इस मिसाइल की रेंज 3000 किलोमीटर है. यह अपने साथ 1000 किलो सामग्री तक ले जाने में सक्षम है.
अग्नि 3: अग्नि 3 की मारक क्षमता 3000 किलोमीटर तक है. हालांकि इसे 4000 किलोमीटर तक भी बढ़ाया जा सकता है. इसे 600 से 1800 किलो तक परमाणु सामग्री से लैस किया जा सकता है.
अग्नि 4: 4000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता रखने वाली इस मिसाइल की जद में पूरा पाकिस्तान और आधे से ज्यादा चीन आ सकता है. यह भी परमाणु क्षमता वाली मिसाइल है.
अग्नि 5: अप्रैल 2012 को अग्नि 5 का पहला परीक्षण किया गया था. इस मिसाइल के साथ ही भारतीय सेनाएं पूरे चीन को निशाना बना सकने में सक्षम हो गई थीं. इसकी रेंज 5500 किलोमीटर है, जिसे 7000 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
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